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वायु विकार के 21 घरेलु उपचार – 21 Homemade Remedies for Stomach Air Disorder

पेट में मन्दाग्नि के कारण एक रोग उत्पन्न हो जाता है जो ‘गैस बनने’ के नाम से प्रसिद्ध है| यह रोग कोष्ठ के मार्ग से बनकर रोगी को परेशान करता है| मुख से लेकर गुदा तक का मार्ग कोष्ठ माना जाता है|

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भोजन मुख से नीचे उतरकर आमाशय और फिर आंतों में पहुंचता है| भोजन पचने की क्रिया वायु (गैस) के माध्यम से होती है| पित्त और कफ वायु के पीछे घूमते रहते हैं| जब वायु कोष्ठ की सीमा में आ जाती है तो मल-मूत्र में रुकावट डालती है| अत: गैस का विकार उत्पन्न हो जाता है|

 

वायु विकार के 21 घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:

1. दालचीनी

गैस बनने पर आधा चम्मच दालचीनी का पूर्ण गुनगुने पानी के साथ फांकें|


2. पुदीना, नीबू और काला नमक

पुदीने की पत्तियों का रस एक चम्मच, नीबू का रस एक चम्मच, खाने वाला सोडा एक चुटकी और काला नमक एक चुटकी – सबको मिलाकर लगभग एक सप्ताह तक भोजन के बाद दोनों वक्त सेवन करें|


3. जायफल और नीबू

जायफल को नीबू के रस में घिसकर पीने से गैस कम बनती है|


4. अजवायन, छाछ, गरम पानी और काला नमक

एक चम्मच अजवायन तथा एक चुटकी काले नमक को छाछ या गरम पानी के साथ सेवन करें|


5. लहसुन

चार मुनक्कों के बीच निकालकर तवे पर भून लें| फिर लहसुन की चटनी के साथ पीसकर सेवन करें| इससे वायु शान्त होगी और कमर का दर्द भी ठीक हो जाएगा|


 

6. कुलथी

कुलथी का काढ़ा बनाकर पीने से वायु का रोग दूर होता है|


7. धनिया

दस ग्राम धनिया के दाने पानी में उबाल-छानकर पी जाएं|


8. कच्चा आलू

कच्चे आलू को कुचलकर उसका रस पीने से गैस शान्त होती है|


9. कलौंजी, जीरा और अजवायन

कलौंजी, जीरा और अजवायन – तीनों दस-दस ग्राम पीसकर चूर्ण बना लें| इसमें से एक चम्मच चूर्ण खाना खाने के बाद लें|


10. हल्दी और सेंधा नमक

पिसी हुई हल्दी और जरा-सा सेंधा नमक पानी में घोलकर पीने से गैस शान्त होती है|


11. मूली, हींग और कालीमिर्च

मूली के रस में जरा-सी हींग और एक चुटकी कालीमिर्च मिलाकर सेवन करें|


12. पुदीना, पानी, अदरक और अजवायन

एक कप पानी में दस ग्राम पुदीना, दस ग्राम अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े तथा दस ग्राम अजवायन उबालकर काढ़ा बनाकर सेवन करें|


13. गाजर और शहद

एक कप गाजर के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर घूंट-घूंट पी जाएं|


14. बताशा और दालचीनी

एक बताशे में चार बूंदें दालचीनी का तेल डालकर भोजन के बाद खाएं|


 

15. सरसों का तेल

पेट तथा टुंडी के आसपास सरसों के तेल में तारपीन का तेल मिलाकर मलने से गैस निकल जाती है|


16. बथुआ और नमक

दो चम्मच बथुए के पत्तों के रस में जरा-सा नमक डालकर पिएं|


17. अजवायन, जीरा, काला नमक और हींग

अजवायन, जीरा, काला नमक तथा हींग उचित मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें| भोजन के बाद दोनों समय इसका सेवन करने से काफी आराम मिलता है|


18. मेथी

गैस वाले व्यक्ति के लिए मेथी का साग बहुत लाभदायक है|


19. त्रिफला, गरम पानी और राई

यदि कब्ज के कारण गैस बनती हो तो त्रिफला और राई का चूर्ण आधा-आधा चम्मच गरम पानी के साथ सेवन करें|


20. पपीता और अमरूद

गैस के रोगियों को भोजन के बाद पपीता तथा अमरूद का सेवन अवश्य करना चाहिए|


21. ग्वारपाठा और नमक

ग्वारपाठा का गूदा भूनकर जरा-सा नमक लगाकर खाएं||


वायु विकार में क्या खाएं क्या नहीं

भोजन में चोकर वाली चपाती, हरे साग, फल, रेशे वाली चीजें, पतले दूध और मट्ठे का सेवन करें| मूंग की दाल की खिचड़ी, साबूदाना, मक्खन, पालक, मेथी, तरोई, टिण्डे, पेठा, गाजर, लौकी आदि गैस वालों के लिए लाभदायक हैं| भोजन में दही, मट्ठा और पपीता अवश्य लें| मिर्च-मसाले वाले पदार्थ, गरिष्ठ भोजन, मांस, मछली, अंडा, खट्टी चीजें, शराब, भांग आदि का सेवन न करें| टहलने तथा शारीरिक व्यायाम का कार्यक्रम बनाकर उसी के अनुसार सबह-शाम पालन करें|क्रोध, लालच, शोक, तनाव आदि से अपने को बचाएं|

वायु विकार का कारण

बहुत देर तक बैठे रहने, किसी अंग के दब जाने, कूदने, तैरने, रात में जागने, भार उठाने, घोड़े की पीठ पर अधिक देर तक बैठे रहने, बहुत परिश्रम करने, कटु-कषाय और रूखा भोजन करने, सूखी साग-सब्जियों का सेवन, सूखा मांस खाने, मूंग, मसूर, अरहर, मटर, लोबिया आदि का आधिक सेवन करने, विषम भोजन लेने आदि के कारण पेट में गैस बनने लगती है|

वमन, खून निकलने, दस्त, भूखे पेट रहने आदि के कारण भी पेट में वायु विकार बढ़ जाता है| इसके अतिरक्त अधोवायु, मलमूत्र, वीर्य, वमन, छींक, जंभाई, डकार, आंसू, भूख, प्यास आदि वेगों को रोकने के कारण भी गैस बनने लगती है| भय, चिन्ता, शोक, मोह, क्रोध आदि से भी वायु का प्रकोप होता है| कुछ लोग मिर्च-मसाले, लाल मिर्च, इमली, अमचूर, शराब, चाय, कॉफी, उरद, मटर, घुइयां, कचालू, सूखी मछली, मैदा, बेसन, सूखे मेवे, शाक, फल, प्याज आदि का अधिक मात्र में सेवक करते हैं| उनके भी गैस बनने लगती हैं|

वायु विकार की पहचान

पेट में हर समय गुड़-गुड़ के साथ वायु ऊपर-नीचे की ओर चढ़ती रहती है| छाती तथा पेट में जलन के साथ दर्द होता है| बेचैनी बढ़ जाती है| बार-बार डकारें आती हैं| अपान वायु जरा-सी निकलकर रुक जाती है| गले तथा छाती के आसपास दर्द होता है| सुस्ती, काम में मन न लगना, सर दर्द, कलेजे में दर्द, सर में चक्कर आदि के लक्षण दिखाई देते हैं|

NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।

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