Homeशिक्षाप्रद कथाएँशिकारी को चकमा

शिकारी को चकमा

एक जंगल में एक हिरण रहता था| एक दिन उसकी बहन अपने बेटे को लेकर उसके पास आई और कहने लगी, ‘भाई, अपने भांजे को अपनी जाति के गुण सिखा दो|’

‘अवश्य| इसको यही छोड़ जाओ|’ हिरण ने कहा|

हिरण का भांजा सोचने लगा- पता नही क्या-क्या सिखाएँगे मामा? लगभग दो महीने तक नन्हा हिरण अपने मामा से प्रशिक्षण लेता रहा|

एक दिन वह अपने मित्रों के साथ जंगल में घूमने गया और संयोगवश वहाँ शिकारी के फंदे में फँस गया| वह चिल्लाने लगा, ‘मुझे छुड़ाओ, मैं फँस गया हूँ|’

उसके साथी भागकर उसकी माँ के पास पहुँचे और बताया कि उसका बेटा एक शिकारी के फंदे में फँस गया है| यह सुनकर उसकी माँ रोने लगी और सोचने लगी की अब क्या करे?

वह भागी-भागी अपने भाई के पास गई और उसको सारी बात बताई| हिरण ने अपनी बहन को दिलासा दिया, ‘घबराओ मत बहन| मैंने उसे जो शिक्षा दी है, उसके बल पर वह अपने आपको छुड़ा लेगा|’

उधर जाल में फँसा वह हिरण सोचने लगा की मामा ने ऐसे समय के लिए जो शिक्षा दी है उसी का इस्तेमाल करना चाहिए| फिर वह मृत समान लेट गया|

उधर शिकारी ने आकर देखा तो सोचने लगा, लगता हे बेचारा सुबह ही मर गया है|’ उसने फंदा खोल दिया| अब वह सोचने लगा, ‘इसकी खाल उतारकर माँस को घर ले जाऊँगा, पत्नी खुश हो जाएगी|

वह आग जलाने के लिए लकड़ियाँ बीनने लगा|

उधर हिरण मौका देखकर वहाँ से भाग निकला| शिकारी भी उसके पीछे भागा, मगर वह उसके हाथ नही आया|

थोड़ी ही देर में हिरण खुशी-खुशी अपनी माँ के पास लौट आया|

शिक्षा: संकट के समय होश नही खोने चाहिए| कठिनाइयाँ किसके सामने नही आती, लेकिन उनसे पार वही हो पाते हैं जो उनका मुकाबला करना जानते है, जैसे हिरण के बच्चे ने जाल में फँसने के बाद किया| बड़ों से मिली सी कभी बेकार नही जाती|