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राजकुमारी की बीमारी

मोहनपुर नामक गांव में एक राजा माधो सिंह राज्य करता था | उसकी एक ही बेटी थी | राजा अपनी बेटी मोहिनी को बहुत प्यार करता था |

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एक बार मोहिनी बीमार पड़ गई | राजवैद्य दवा देते-देते परेशान हो गए पर मोहिनी के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो रहा था | मोहिनी इतनी कमजोर हो गई थी कि न कुछ खाती-पीती, न ही बोलती थी | उसके चेहरे से हंसी जैसे गायब हो गई थी |

राजा ने घोषणा की कि जो भी मेरी बेटी को ठीक करेगा, उसे मुंहमांगा इनाम दिया जाएगा | सभी डॉक्टर व वैद्यों ने प्रयत्न किया पर मोहिनी की दशा में कोई अन्तर न हुआ |

एक दिन अचानक राजमहल में बांसुरी की धीमी-धीमी आवाज सुनाई दी | उस समय मोहिनी सो रही थी | धीरे-धीरे बांसुरी की आवाज तेज होती गई | बांसुरी की मीठी तान से मोहिनी की आंख खुल गई | वह बोली – “यह बांसुरी कौन बजा रहा है ?”

मोहिनी की आवाज इतने दिन बाद सुनकर सबने कहा हम बांसुरी बजाने वाले को यहां बुलाते हैं | मोहिनी जिद करके उठ गई कि नहीं इतनी सुंदर बांसुरी बजाने वाले की बांसुरी बजाने में बाधा मत डालो और वह वहीं पहुंच गई जहां चन्दू बैठा बांसुरी बजा रहा था | चंदू बांसुरी की धुन में इतना खोया था कि उसे किसी के आने की आहट भी न हुई | उसकी बांसुरी की सुंदर धुन सुनने हिरण, मोर आदि अनेक जानवर इकट्ठे हो गए थे |

मोहिनी के पीछे-पीछे राजा के सैनिक व घुड़सवार भी आ गए | उनका पदचाप व घोड़ों की आवाज से चंदू का ध्यान बंट गया | राजा के सैनिक उसे राजमहल ले जाने लगे तो वह इन्कार करने लगा और सोचने लगा कि शायद उससे कोई भयंकर अपराध हो गया है |

राजमहल में जाने पर राजा बोले – “हम तुमसे बहुत प्रसन्न हैं | तुमने हमारी बेटी को ठीक कर दिया है | इनाम में क्या चाहते हो ?”

चंदू बोला – “मैं गरीब अनाथ बालक हूं | यदि मुझे कुछ काम मिल जाए तो मैं स्कूल भी जा सकूंगा | मुझे पढ़ने का बहुत शौक है |”

राजा ने उसे राजमहल में ही रख लिया और उसकी शिक्षा का प्रबंध भी कर दिया | बड़ा होकर वह राजा का योग्य मंत्री व सलाहकार बन गया |

सूअर की