नशे का तमाशा

एक आदमी बड़ा शराबी था| शाम होते ही वह शराब घर में पहुंच जाता और खूब शराब पीता| एक दिन उसने इतनी शराब पी कि चलते समय उसे पूरा होश न रहा| वह साथ में लालटेन लाया था|

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उसे उठाकर घर की ओर चल दिया| रास्ते में गहरा अंधेरा था| उसने लालटेन को इधर-उधर घुमाया और जब उसे रोशनी न मिली तो उसने जी भरकर उसे गलियां दीं|

घर आकर उसने लालटेन को बाहर पटक दिया और घर के अंदर जाकर सो गया| सवेरे जैसे ही उठा तो देखता क्या है कि शराब घर का आदमी उसकी लालटेन लिए चला आ रहा है| उसे बड़ा अचरज हुआ कि वह लालटेन उसके हाथ में कैसे है|

पास आकर वह बोला – “महाशयजी, रात को आपने अच्छा तमाशा किया| अपनी लालटेन छोड़ आए और हमारा पिंजड़ा उठा लाए| लीजिए अपनी यह लालटेन और हमारा पिंजड़ा हमें दे दीजिए|”

सुनकर उस आदमी को अपनी भूल मालूम हुई| नशे में वह लालटेन नहीं, पिंजड़ा उठा लाया था|

सत्य की