काजल

गौरैया चिड़िया का एक जोड़ा पीपल के पेड़ में घोंसला बनाकर रहता था| नर गौरैया अपनी मादा से बहुत प्यार करता था|

एक बार मादा गौरैया का सजने-संवरने का मन किया| नहा-धोकर उसने पंखों को सँवारा| इसके बाद दर्पण के सामने बैठ गई| उसे कुछ कमी महसूस हुई| कुछ देर सोचने के बाद वह अपने पति से बोली, ‘मुझे आँखों में सुरमा लगाना है, मेरे लिए काजल ला दो|’

‘पर यह काजल कहाँ मिलेगा?’ नर गौरैया ने पूछा|

‘इस जंगल के पार दूसरे जंगल में दक्षिण दिशा में कोयलें रहती है| कोयल काली होती है, वहाँ तुम्हें काजल मिल जाएगा|’ मादा ने जवाब दिया|

नर गौरैया को इतनी दूर जाने की इच्छा तो नही हुई| लेकिन पत्नी की जिद्द के चलते उसे जाना ही पड़ा|

काफ़ी देर तक उड़ते-उड़ते वह जंगल के दक्षिण छोर पर पहुँच गया| वहाँ पहुँचकर उसने एक कोयल से कहा, ‘मैं बहुत दूर से आया हूँ| मेरी पत्नी को काजल चाहिए और उसने बताया कि वह तुम्हारे पास मिलेगा|’

कोयल ने जवाब दिया, ‘मेरे पंखों में बहुत काजल है….ले जाओ|’

नर गौरैया सोच में पड़ गया|

कोयल ने पूछा, ‘क्या हुआ? क्या सोच रहे हो?’

‘मैं काजल कैसे ले जाऊँ?’ नर गौरैया ने पूछा|

‘तुम कुछ काजल अपने पंखों पर लगा लो, वहाँ जाकर अपनी पत्नी की आँखों में लगा देना|’

उसने वैसा ही किया, कुछ काजल अपने पंखों में लगा लिया और तेजी से उड़ता हुआ अपनी पत्नी के पास जा पहुँचा| उसकी पत्नी ने उसके पंखों से काजल उतारकर अपनी आँखों पर लगा लिया| लेकिन अभी भी बहुत-सा काजल गौरैया के पंखों पर लगा हुआ था|

उसकी पत्नी बोली, ‘तुम्हारे पंख काले हो गए है…नहा लो|’

नर गौरैया ने आलस से जवाब दिया, ‘बाद में नहा लूँगा, काफ़ी थक गया हूँ|’

और उस दिन के बाद आज तक नर गौरैया के पंख काले ही है|

शिक्षा: दूसरों की सलाह मानने में कोई बुराई नही, यदि वह काम की हो| यूँ ही किसी ने कुछ कहा और आपने उस पर तुरंत अमल कर दिया तो स्थिति कुछ नर गौरैया जैसी ही हो जाएगी, जिसके पंखों का रंग ही बदल गया|